मेरे इस प्रकार के इस विकराल रूप को देखकर तुझको व्याकुलता नहीं होनी चाहिये और मूढभाव भी नहीं होना चाहिये । तू भयरहित और प्रीतियुक्त मन वाला होकर उसी मेरे इस शंख-चक्र-गदा-पद्मयुक्त चतुर्भुज रूप को फिर देख ।।49।।
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Seeing such a dreadful form of mine as this, be not perturbed or perplexed; with a fearless and complacent mind, behold onece again the same four- armed form of mine (bearing the conch, discus, mace and lotus). (49)
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