इस प्रकार पुरुष को और गुणों के सहित प्रकृति को जो मनुष्य तत्त्व से जानता है, वह सब प्रकार से कर्तव्य कर्म करता हुआ भी फिर नहीं जन्मता ।।23।।
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He who thus knows the purusa (spirit) and prakrti (nature) together with the gunas,- even though performing his duties in every way, is never born again. (23)
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