हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! जो पुरुष केवल मेरे ही लिये सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को करने वाला है, मेरे परायण है, मेरा भक्त है, असक्तिरहित है और सम्पूर्ण भूत प्राणियों में वैरभाव से रहित है- वह अनन्य भक्ति युक्त पुरुष मुझको ही प्राप्त होता है ।।55।।
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Arjuna, he who performs all his duties for my sake, depends on me, is devoted to me; has no attachment, and is free from malice towards all beings, reaches me. (55)
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