और जो पुरुष सम्पूर्ण कर्मों को सब प्रकार से प्रकृति के द्वारा ही किये जाते हुए देखता है और आत्मा को अकर्ता देखता है, वही यथार्थ देखता है ।।29।।
|
And he alone really sees, who sees all actions being performed in every way by porakrti alone, and the self as the non-doer. (29)
|