रांमहि पूजा कहाँ चढ़ऊँ।
फल अरु फूल अनूप न पांऊँ।। टेक।।
थनहर दूध जु बछ जुठार्यौ, पहुप भवर जल मीन बिटार्यौ।
मलियागिर बेधियौ भवंगा, विष अंम्रित दोऊँ एकै संगा।।1।।
मन हीं पूजा मन हीं धूप, मन ही सेऊँ सहज सरूप।।2।।
पूजा अरचा न जांनूं रांम तेरी, कहै रैदास कवन गति मेरी।।3।।