पांडे कैसी पूज रची रे।
सति बोलै सोई सतिबादी, झूठी बात बची रे।। टेक।।
जो अबिनासी सबका करता, ब्यापि रह्यौ सब ठौर रे।
पंच तत जिनि कीया पसारा, सो यौ ही किधौं और रे।।1।।
तू ज कहत है यौ ही करता, या कौं मनिख करै रे।
तारण सकति सहीजे यामैं, तौ आपण क्यूँ न तिरै रे।।2।।
अहीं भरोसै सब जग बूझा, सुंणि पंडित की बात रे।।
याकै दरसि कौंण गुण छूटा, सब जग आया जात रे।।3।।
याकी सेव सूल नहीं भाजै, कटै न संसै पास रे।
सौचि बिचारि देखिया मूरति, यौं छाड़ौ रैदास रे।।4।।