"दरसन दीजै राम दरसन दीजै -रैदास": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replace - "३" to "3")
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 34: पंक्ति 34:
दरसन दीजै राम दरसन दीजै।
दरसन दीजै राम दरसन दीजै।
दरसन दीजै हो बिलंब न कीजै।। टेक।।
दरसन दीजै हो बिलंब न कीजै।। टेक।।
दरसन तोरा जीवनि मोरा, बिन दरसन का जीवै हो चकोरा।।१।।
दरसन तोरा जीवनि मोरा, बिन दरसन का जीवै हो चकोरा।।1।।
माधौ सतगुर सब जग चेला, इब कै बिछुरै मिलन दुहेला।।२।।
माधौ सतगुर सब जग चेला, इब कै बिछुरै मिलन दुहेला।।2।।
तन धन जोबन झूठी आसा, सति सति भाखै जन रैदासा।।३।।
तन धन जोबन झूठी आसा, सति सति भाखै जन रैदासा।।3।।
</poem>
</poem>
{{Poemclose}}
{{Poemclose}}

10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
दरसन दीजै राम दरसन दीजै -रैदास
रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

दरसन दीजै राम दरसन दीजै।
दरसन दीजै हो बिलंब न कीजै।। टेक।।
दरसन तोरा जीवनि मोरा, बिन दरसन का जीवै हो चकोरा।।1।।
माधौ सतगुर सब जग चेला, इब कै बिछुरै मिलन दुहेला।।2।।
तन धन जोबन झूठी आसा, सति सति भाखै जन रैदासा।।3।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख