"केसवे बिकट माया तोर -रैदास": अवतरणों में अंतर
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सु विष डसन कराल अहि मुख, ग्रसित सुठल सु भेख। | सु विष डसन कराल अहि मुख, ग्रसित सुठल सु भेख। | ||
निरखि माखी बकै व्याकुल, लोभ काल न देख।।1।। | निरखि माखी बकै व्याकुल, लोभ काल न देख।।1।। | ||
इन्द्रीयादिक | इन्द्रीयादिक दु:ख दारुन, असंख्यादिक पाप। | ||
तोहि भजत रघुनाथ अंतरि, ताहि त्रास न ताप।।2।। | तोहि भजत रघुनाथ अंतरि, ताहि त्रास न ताप।।2।। | ||
प्रतंग्या प्रतिपाल चहुँ जुगि, भगति पुरवन कांम। | प्रतंग्या प्रतिपाल चहुँ जुगि, भगति पुरवन कांम। |
14:00, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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केसवे बिकट माया तोर। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |