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सु विष डसन कराल अहि मुख, ग्रसित सुठल सु भेख।
सु विष डसन कराल अहि मुख, ग्रसित सुठल सु भेख।
निरखि माखी बकै व्याकुल, लोभ काल न देख।।1।।
निरखि माखी बकै व्याकुल, लोभ काल न देख।।1।।
इन्द्रीयादिक दुख दारुन, असंख्यादिक पाप।
इन्द्रीयादिक दु:ख दारुन, असंख्यादिक पाप।
तोहि भजत रघुनाथ अंतरि, ताहि त्रास न ताप।।2।।
तोहि भजत रघुनाथ अंतरि, ताहि त्रास न ताप।।2।।
प्रतंग्या प्रतिपाल चहुँ जुगि, भगति पुरवन कांम।
प्रतंग्या प्रतिपाल चहुँ जुगि, भगति पुरवन कांम।

14:00, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

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केसवे बिकट माया तोर -रैदास
रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

केसवे बिकट माया तोर।
ताथैं बिकल गति मति मोर।। टेक।।
सु विष डसन कराल अहि मुख, ग्रसित सुठल सु भेख।
निरखि माखी बकै व्याकुल, लोभ काल न देख।।1।।
इन्द्रीयादिक दु:ख दारुन, असंख्यादिक पाप।
तोहि भजत रघुनाथ अंतरि, ताहि त्रास न ताप।।2।।
प्रतंग्या प्रतिपाल चहुँ जुगि, भगति पुरवन कांम।
आस तोर भरोस है, रैदास जै जै राम।।3।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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