"माधवे का कहिये भ्रम ऐसा -रैदास": अवतरणों में अंतर
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तुम कहियत होह न जैसा।। टेक।। | तुम कहियत होह न जैसा।। टेक।। | ||
न्रिपति एक सेज सुख सूता, सुपिनैं भया भिखारी। | न्रिपति एक सेज सुख सूता, सुपिनैं भया भिखारी। | ||
अछित राज बहुत | अछित राज बहुत दु:ख पायौ, सा गति भई हमारी।।1।। | ||
जब हम हुते तबैं तुम्ह नांहीं, अब तुम्ह हौ मैं नांहीं। | जब हम हुते तबैं तुम्ह नांहीं, अब तुम्ह हौ मैं नांहीं। | ||
सलिता गवन कीयौ लहरि महोदधि, जल केवल जल मांही।।2।। | सलिता गवन कीयौ लहरि महोदधि, जल केवल जल मांही।।2।। |
14:02, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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माधवे का कहिये भ्रम ऐसा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |