"माधौ अविद्या हित कीन्ह -रैदास": अवतरणों में अंतर
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ताथैं मैं तोर नांव न लीन्ह।। टेक।। | ताथैं मैं तोर नांव न लीन्ह।। टेक।। | ||
मिग्र मीन भ्रिग पतंग कुंजर, एक दोस बिनास। | मिग्र मीन भ्रिग पतंग कुंजर, एक दोस बिनास। | ||
पंच ब्याधि असाधि इहि तन, कौंन ताकी | पंच ब्याधि असाधि इहि तन, कौंन ताकी आस।।1।। | ||
जल थल जीव जंत जहाँ-जहाँ लौं करम पासा जाइ। | जल थल जीव जंत जहाँ-जहाँ लौं करम पासा जाइ। | ||
मोह पासि अबध बाधौ, करियै कौंण | मोह पासि अबध बाधौ, करियै कौंण उपाइ।।2।। | ||
त्रिजुग जोनि अचेत संम भूमि, पाप पुन्य न सोच। | त्रिजुग जोनि अचेत संम भूमि, पाप पुन्य न सोच। | ||
मानिषा अवतार दुरलभ, तिहू संकुट | मानिषा अवतार दुरलभ, तिहू संकुट पोच।।3।। | ||
रैदास दास उदास बन भव, जप न तप गुरु ग्यांन। | रैदास दास उदास बन भव, जप न तप गुरु ग्यांन। | ||
भगत जन भौ हरन कहियत, ऐसै परंम | भगत जन भौ हरन कहियत, ऐसै परंम निधांन।।4।। | ||
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10:45, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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माधौ अविद्या हित कीन्ह। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |