"जिह कुल साधु बैसनो होइ -रैदास": अवतरणों में अंतर
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जिनि पीआ सार रसु तजे आन रस होइ रस मगन डारे बिखु खोइ।।2।। | जिनि पीआ सार रसु तजे आन रस होइ रस मगन डारे बिखु खोइ।।2।। | ||
पंडित सूर छत्रपति राजा भगत बराबरि अउरु न कोइ। | पंडित सूर छत्रपति राजा भगत बराबरि अउरु न कोइ। | ||
जैसे पुरैन पात रहै जल समीप भनि रविदास जनमें जगि | जैसे पुरैन पात रहै जल समीप भनि रविदास जनमें जगि ओइ।।3।। | ||
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10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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जिह कुल साधु बैसनो होइ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |