"प्रीति सधारन आव -रैदास": अवतरणों में अंतर
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तेज सरूपी सकल सिरोमनि, अकल निरंजन राव।। टेक।। | तेज सरूपी सकल सिरोमनि, अकल निरंजन राव।। टेक।। | ||
पीव संगि प्रेम कबहूं नहीं पायौ, कारनि कौण बिसारी। | पीव संगि प्रेम कबहूं नहीं पायौ, कारनि कौण बिसारी। | ||
चक को ध्यान दधिसुत कौं होत है, त्यूँ तुम्ह थैं मैं | चक को ध्यान दधिसुत कौं होत है, त्यूँ तुम्ह थैं मैं न्यारी।।1।। | ||
भोर भयौ मोहिं इकटग जोवत, तलपत रजनी जाइ। | भोर भयौ मोहिं इकटग जोवत, तलपत रजनी जाइ। | ||
पिय बिन सेज क्यूँ सुख सोऊँ, बिरह बिथा तनि माइ।।२।। | पिय बिन सेज क्यूँ सुख सोऊँ, बिरह बिथा तनि माइ।।२।। |
09:48, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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प्रीति सधारन आव। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |