"जिह कुल साधु बैसनो होइ -रैदास": अवतरणों में अंतर
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होइ पुनीत भगवंत भजन ते आपु तारि तारे कुल दोइ।।1।। | होइ पुनीत भगवंत भजन ते आपु तारि तारे कुल दोइ।।1।। | ||
धंनि सु गाउ धंनि सो ठाउ धंनि पुनीत कुटंब सभ लोइ। | धंनि सु गाउ धंनि सो ठाउ धंनि पुनीत कुटंब सभ लोइ। | ||
जिनि पीआ सार रसु तजे आन रस होइ रस मगन डारे बिखु | जिनि पीआ सार रसु तजे आन रस होइ रस मगन डारे बिखु खोइ।।2।। | ||
पंडित सूर छत्रपति राजा भगत बराबरि अउरु न कोइ। | पंडित सूर छत्रपति राजा भगत बराबरि अउरु न कोइ। | ||
जैसे पुरैन पात रहै जल समीप भनि रविदास जनमें जगि ओइ।।३।। | जैसे पुरैन पात रहै जल समीप भनि रविदास जनमें जगि ओइ।।३।। |
10:03, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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जिह कुल साधु बैसनो होइ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |