"संतौ अनिन भगति -रैदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "१" to "1") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "२" to "2") |
||
पंक्ति 37: | पंक्ति 37: | ||
कांम क्रोध मद लोभ मोह की, पल पल पूजा ठांनैं।।1।। | कांम क्रोध मद लोभ मोह की, पल पल पूजा ठांनैं।।1।। | ||
सति सनेह इष्ट अंगि लावै, अस्थलि अस्थलि खेलै। | सति सनेह इष्ट अंगि लावै, अस्थलि अस्थलि खेलै। | ||
जो कुछ मिलै आंनि अखित ज्यूं, सुत दारा सिरि | जो कुछ मिलै आंनि अखित ज्यूं, सुत दारा सिरि मेलै।।2।। | ||
हरिजन हरि बिन और न जांनैं, तजै आंन तन त्यागी। | हरिजन हरि बिन और न जांनैं, तजै आंन तन त्यागी। | ||
कहै रैदास सोई जन न्रिमल, निसदिन जो अनुरागी।।३।। | कहै रैदास सोई जन न्रिमल, निसदिन जो अनुरागी।।३।। |
10:03, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
संतौ अनिन भगति यहु नांहीं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |