"तेरा जन काहे कौं बोलै -रैदास": अवतरणों में अंतर
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बोलि बोलि औरहि समझावै, तब लग समझि नहीं रे भाई। | बोलि बोलि औरहि समझावै, तब लग समझि नहीं रे भाई। | ||
बोलि बोलि समझि जब बूझी, तब काल सहित सब | बोलि बोलि समझि जब बूझी, तब काल सहित सब खाई।।3।। | ||
बोलै गुर अरु बोलै चेला, बोल्या बोल की परमिति जाई। | बोलै गुर अरु बोलै चेला, बोल्या बोल की परमिति जाई। |
10:10, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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तेरा जन काहे कौं बोलै। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |