"माधवे का कहिये भ्रम ऐसा -रैदास": अवतरणों में अंतर

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तुम कहियत होह न जैसा।। टेक।।
तुम कहियत होह न जैसा।। टेक।।
न्रिपति एक सेज सुख सूता, सुपिनैं भया भिखारी।
न्रिपति एक सेज सुख सूता, सुपिनैं भया भिखारी।
अछित राज बहुत दुख पायौ, सा गति भई हमारी।।1।।
अछित राज बहुत दु:ख पायौ, सा गति भई हमारी।।1।।
जब हम हुते तबैं तुम्ह नांहीं, अब तुम्ह हौ मैं नांहीं।
जब हम हुते तबैं तुम्ह नांहीं, अब तुम्ह हौ मैं नांहीं।
सलिता गवन कीयौ लहरि महोदधि, जल केवल जल मांही।।2।।
सलिता गवन कीयौ लहरि महोदधि, जल केवल जल मांही।।2।।

14:02, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

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माधवे का कहिये भ्रम ऐसा -रैदास
रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

माधवे का कहिये भ्रम ऐसा।
तुम कहियत होह न जैसा।। टेक।।
न्रिपति एक सेज सुख सूता, सुपिनैं भया भिखारी।
अछित राज बहुत दु:ख पायौ, सा गति भई हमारी।।1।।
जब हम हुते तबैं तुम्ह नांहीं, अब तुम्ह हौ मैं नांहीं।
सलिता गवन कीयौ लहरि महोदधि, जल केवल जल मांही।।2।।
रजु भुजंग रजनी प्रकासा, अस कछु मरम जनावा।
संमझि परी मोहि कनक अल्यंक्रत ज्यूं, अब कछू कहत न आवा।।3।।
करता एक भाव जगि भुगता, सब घट सब बिधि सोई।
कहै रैदास भगति एक उपजी, सहजैं होइ स होई।।4।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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