श्रेणी:भक्ति काल
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
उपश्रेणियाँ
इस श्रेणी की कुल 10 में से 10 उपश्रेणियाँ निम्नलिखित हैं।
"भक्ति काल" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी की कुल 977 में से 200 पृष्ठ निम्नलिखित हैं।
(पिछला पृष्ठ) (अगला पृष्ठ)द
- दादू दयाल
- दासबोध
- दियौ अभय पद ठाऊँ -सूरदास
- दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ -कबीर
- दीजो हो चुररिया हमारी -मीरां
- दीन गँवाया दुनी सौं -कबीर
- दीन चहैं करतार जिन्हें सुख -रहीम
- दीन-हित बिरद पुराननि गायो -तुलसीदास
- दीनदयाल सुनी जबतें -मलूकदास
- दीपक दीया तेल भरि -कबीर
- दुखिया मूवा दुख कौं -कबीर
- दुनियाँ के धौखे मुवा -कबीर
- दुनियाँ भाँड़ा दुख का -कबीर
- दूखण लागे नैन -मीरां
- दूल्ह राम -तुलसीदास
- दूसरो न कोई -मीरां
- दृढ इन चरण कैरो भरोसो -सूरदास
- देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे -मीरां
- देखोरे देखो जसवदा मैय्या तेरा लालना -मीरां
- देव! दूसरो कौन दीनको दयालु -तुलसीदास
- देवा हम न पाप -रैदास
- देहु कलाली एक पियाला -रैदास
ध
न
- न बीचारिओ राजा राम को रसु -रैदास
- नटवर वेष काछे स्याम -सूरदास
- नरहरि चंचल मति मोरी -रैदास
- नरहरि प्रगटसि -रैदास
- नरोत्तम दास ठाकुर
- नरोत्तमदास
- नहिं एसो जनम बारंबार -मीरां
- नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो -मीरां
- नही जाऊंरे जमुना पाणीडा -मीरां
- नही तोरी बलजोरी राधे -मीरां
- नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर -रैदास
- ना कछु किया न करि सका -कबीर
- ना वह रीझै जप तप कीन्हे -मलूकदास
- नाँ गुर मिल्या न सिष भया -कबीर
- नाँन्हाँ काती चित्त दे -कबीर
- नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय -मीरां
- नाथ तुम जानतहो सब घटकी -मीरां
- नाथ, अनाथन की सुधि लीजै -सूरदास
- नाभादास
- नाम हमारा खाक है -मलूकदास
- नामदेव
- नामु तेरो आरती भजनु मुरारे -रैदास
- नामोकी बलहारी गजगणिका तारी -मीरां
- नाव किनारे लगाव प्रभुजी -मीरां
- नाहिन भजिबे जोग बियो -तुलसीदास
- निरंजन धन तुम्हरो दरबार -कबीर
- निरगुन कौन देश कौ बासी -सूरदास
- निसिदिन बरसत नैन हमारे -सूरदास
- निहचल निधि मिलाइ तत -कबीर
- नीके रहियौ जसुमति मैया -सूरदास
- नीति के दोहे -कबीर
- नूर मुहम्मद
- नैन भये बोहित के काग -सूरदास
- नैन लख्यो जब कुंजन तैं -रसखान
- नैना निपट बंकट छबि अटके -मीरां
- नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार -कबीर
प
- पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे -मीरां
- पट चाहे तन, पेट चाहत छदन -रहीम
- पतिव्रता का अंग -कबीर
- पतीया मैं कैशी लीखूं, लीखये न जातरे -मीरां
- पद गावै लौंलीन ह्वै -कबीर
- पद्मावत
- पपइया रे, पिव की वाणि न बोल -मीरां
- पपैया रे! -मीरां
- परचै राम रमै जै कोइ -रैदास
- पहलै पहरै रैंणि -रैदास
- पांडर पिंजर मन भँवर -कबीर
- पांडे कैसी पूज रची रे -रैदास
- पांवन जस माधो तोरा -रैदास
- पानी में मीन प्यासी -मीरां
- पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो -मीरां
- पार गया चाहै सब कोई -रैदास
- पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस -मीरां
- पिया मोहि दरसण दीजै हो -मीरां
- पियाजी म्हारे नैणां आगे रहज्यो जी -मीरां
- पिहुकी बोलिन बोल पपैय्या -मीरां
- पीछैं लागा जाइ था -कबीर
- पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै -रहीम
- पुहकर कवि
- पृथ्वीराज
- प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय -मीरां
- प्रगट भयो भगवान -मीरां
- प्रभु कब रे मिलोगे -मीरां
- प्रभु किरपा कीजौ -मीरां
- प्रभु गिरधर नागर -मीरां
- प्रभु जी तुम चंदन हम पानी -रैदास
- प्रभु जी तुम संगति सरन तिहारी -रैदास
- प्रभु तुम कैसे दीनदयाळ -मीरां
- प्रभु, कबरे मिलोगे -मीरां
- प्रभु, मेरे औगुन चित न धरौ -सूरदास
- प्रभु, मेरे औगुन न विचारौ -सूरदास
- प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय -मीरां
- प्राण अधार -मीरां
- प्राणचंद चौहान
- प्राणसंकली
- प्रान वही जु रहैं रिझि वापर -रसखान
- प्रानी किआ मेरा किआ तेरा -रैदास
- प्रीति करि काहु सुख न लह्यो -सूरदास
- प्रीति करि काहू सुख न लह्यो -सूरदास
- प्रीति सधारन आव -रैदास
- प्रेम वाटिका
- प्रेमाश्रयी शाखा
फ
ब
- बंदे जानि साहिब गनीं -रैदास
- बजरंग बाण -तुलसीदास
- बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे -मीरां
- बड़ेन सों जान पहिचान कै रहीम काह -रहीम
- बदन मनोहर गात -सूरदास
- बन जाऊं चरणकी दासी रे -मीरां
- बनारसी दास (कवि)
- बन्सी तूं कवन गुमान भरी -मीरां
- बपुरौ सति रैदास कहै -रैदास
- बरजि हो बरजि बीठल -रैदास
- बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं -मीरां
- बरसै बदरिया सावन की -मीरां
- बलभद्र मिश्र
- बलिहारी गुरु आपकी -कबीर
- बसो मोरे नैनन में -मीरां
- बहुरि नहिं आवना या देस -कबीर
- बागनमों नंदलाल चलोरी -मीरां
- बात क्या कहूं नागरनटकी -मीरां
- बादल देख डरी -मीरां
- बारी होके जाने बंदना -मीरां
- बालपनमों बैरागन करी गयोरे -मीरां
- बावरी साहिबा
- बासुरि गमि नारैनि गमि -कबीर
- बासुरी सुनूंगी। मै तो बासुरी सुनूंगी -मीरां
- बिनती भरत करत कर जोरे -तुलसीदास
- बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं -सूरदास
- बीजक
- बीत गये दिन भजन बिना रे -कबीर
- बूड़ा था पै ऊबरा -कबीर
- बृथा सु जन्म गंवैहैं -सूरदास
- बेसास का अंग -कबीर
- बैन वही उनकौ गुन गाइ -रसखान
भ
- भक्त सेन नाई
- भक्तिकाल
- भक्तिकालीन साहित्य में मीरां
- भगति ऐसी सुनहु रे भाई -रैदास
- भगति भजन हरि नाँव है -कबीर
- भज मन रामचरन सुखदाई -तुलसीदास
- भज मन शंकर भोलानाथ भज मन -मीरां
- भज ले रे मन, गोपाल-गुना -मीरां
- भजन बिना नरफीको -मीरां
- भजु मन चरन कँवल अविनासी -मीरां
- भजु मन चरन संकट-हरन -सूरदास
- भजो रे भैया राम गोविंद हरी -कबीर
- भजो रे मन गोविन्दा -मीरां
- भरोसो जाहि दूसरो सो करो -तुलसीदास
- भली भई जु गुर मिल्या -कबीर
- भाई रे भ्रम भगति सुजांनि -रैदास
- भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो -रैदास
- भाई रे सहज बन्दी लोई -रैदास
- भाई! हौं अवध कहा रहि लैहौं -तुलसीदास
- भाव भगति है जाकें -सूरदास
- भीजो मोरी नवरंग चुनरी -मीरां
- भूखा भूखा क्या करै -कबीर
- भेष का अंग -कबीर
- भेष लियो पै भेद न जान्यो -रैदास
- भोरहि सहचरि कातर दिठि -सूरदास
- भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे -मीरां
- भ्रम-बिधोंसवा का अंग -कबीर
म
- मंगलकाव्य
- मंझन
- मत डारो पिचकारी -मीरां
- मथुराके कान मोही मोही मोही -मीरां
- मदन गोपाल नंदजीको लाल प्रभुजी -मीरां
- मदनाष्टक
- मधि का अंग -कबीर
- मधुकर! स्याम हमारे चोर -सूरदास
- मधुमालती
- मन अटकी मेरे दिल अटकी -मीरां
- मन का अंग -कबीर
- मन केरो जेवो चंद्र छे -मीरां
- मन तोसों कोटिक बार कहीं -सूरदास
- मन धन-धाम धरे -सूरदास
- मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा -कबीर
- मन पछितैहै अवसर बीते -तुलसीदास
- मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै -कबीर
- मन माधवको नेकु निहारहि -तुलसीदास
- मन माने जब तार प्रभुजी -मीरां
- मन मेरे सोई सरूप बिचार -रैदास
- मन मोहन दिलका प्यारा -मीरां
- मन रे पासि हरि के चरन -मीरां
- मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में -कबीर