पिहुकी बोलिन बोल पपैय्या॥ध्रु॥. तै खोलना मेरा जी डरत है। तनमन डावा डोल॥ पपैय्या.॥1॥ तोरे बिना मोकूं पीर आवत है। जावरा करुंगी मैं मोल॥ पपैय्या.॥2॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। कामनी करत कीलोल॥ पपैय्या.॥3॥