राग पीलू बरवा
बड़े घर ताली लागी[1] रे, म्हारां मन री[2] उणारथ[3] भागी रे॥
छालरिये[4] म्हारो चित नहीं रे, डाबरिये[5] कुण[6] जाव।
गंगा जमना सूं काम नहीं रे, मैंतो जाय मिलूं दरियाव॥
हाल्यां मोल्यांसूं[7] काम नहीं रे, सीख नहीं सिरदार।
कामदारासूं काम नहीं रे, मैं तो जाब[8] करूं दरबार॥
काच कथीरसूं[9] काम नहीं रे, लोहा चढ़े सिर[10] भार।
सोना रूपासूं[11] काम नहीं रे, म्हारे हीरांरो बौपार॥
भाग हमारो जागियो रे, भयो समंद सूं सीर।
अम्रित प्याला छांडिके, कुण पीवे कड़वो[12] नीर॥
पीपाकूं[13] प्रभु परचो[14] दियो रे, दीन्हा ख़ज़ाना पूर।
मीरा के प्रभु गिरघर नागर, धणी[15] मिल्या छै हजूर॥