नाव किनारे लगाव प्रभुजी नाव किना०॥ध्रु०॥ नदीया घहेरी नाव पुरानी। डुबत जहाज़ तराव॥1॥ ग्यान ध्यानकी सांगड बांधी। दवरे दवरे आव॥2॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। पकरो उनके पाव॥3॥