नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय -मीरां

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नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

राग भांड

नातो नामको जी म्हांसूं[1] तनक न तोड्यो जाय॥

पानां ज्यूं[2] पीली पड़ी रे, लोग कहैं पिंड रोग[3]
छाने[4] लांघण[5] म्हैं किया रे, राम मिलण के जोग॥

बाबल[6] बैद बुलाइया रे, पकड़ दिखाई म्हांरी बांह।
मूरख बैद मरम नहिं जाणे, कसक[7] कलेजे मांह॥

जा बैदां, घर आपणे रे, म्हांरो नांव न लेय।
मैं तो दाझी[8] बिरहकी रे, तू काहेकूं दारू देय॥

मांस गल गल छीजिया[9] रे, करक रह्या गल आहि।
आंगलिया री मूदड़ी[10] (म्हारे) आवण लागी बांहि[11]

रह रह पापी पपीहडा रे,पिवको नाम न लेय।
जै कोई बिरहण साम्हले[12] तो, पिव कारण जिव देय॥

खिण[13] मंदिर खिण आंगणे रे, खिण खिण ठाड़ी होय।
घायल ज्यूं घूमूं खड़ी, म्हारी बिथा न बूझै कोय॥

काढ़ कलेजो मैं धरू रे, कागा तू ले जाय।
ज्यां देसां[14] म्हारो पिव बसै रे, वे देखै तू खाई[15]

म्हांरे नातो नांवको रे, और न नातो कोय।
मीरा ब्याकुल बिरहणी रे, (हरि) दरसण दीजो मोय॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मुझको
  2. पत्तों की भांति
  3. पाण्डु रोग इस रोग में रोगी बिलकुल पीला पड़ जाता है
  4. छिपकर
  5. लंघन,उपवास
  6. बाबा, पिता
  7. पीड़ा
  8. जली हुई
  9. क्षीण हो गया
  10. मुंदरी, अंगूठी
  11. भुजा
  12. सुन पायेगी
  13. क्षण भर
  14. देशों में
  15. खा लेना

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