राग आसाबरी प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय॥ जल बिन कमल, चंद बिन रजनी[1]। ऐसे तुम देख्यां बिन सजनी[2]॥ आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन, बिरह कलेजो खाय[3]॥ दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवै बैना[4]॥ कहा कहूं कछु कहत न आवै, मिलकर तपत बुझाय॥ क्यूं तरसावो अंतरजामी, आय मिलो किरपाकर स्वामी॥ मीरां दासी जनम जनम की, पड़ी तुम्हारे पाय[5]॥