राग दरबारी प्रभुजी थे[1] कहां गया नेहड़ो[2] लगाय। छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेमकी बाती बलाय[3]॥ बिरह समंद[4] में छोड़ गया छो[5], नेहकी नाव चलाय। मीरा के प्रभु कब र[6] मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय॥