बन्सी तूं कवन गुमान भरी॥ध्रु०॥ आपने तनपर छेदपरंये बालाते बिछरी॥1॥ जात पात हूं तोरी मय जानूं तूं बनकी लकरी॥2॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर राधासे झगरी बन्सी॥3॥