राग खम्माच नहिं भावै थांरो[1] देसड़लो[2] जी रंगरूड़ो॥[3] थांरा देसा में राणा साध[4] नहीं छै, लोग बसे सब कूड़ो।[5] गहणा गांठी राणा हम सब त्यागा, त्याग्यो कररो[6] चूड़ो॥ काजल टीकी[7] हम सब त्याग्या, त्याग्यो है बांधन जूड़ो। मीरा के प्रभु गिरधर नागर बर पायो छै रूड़ो॥[8]