"नामु तेरो आरती भजनु मुरारे -रैदास": अवतरणों में अंतर

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नाम तेरे की जोति लगाई भइआें उजिआरो भवन सगला रे।।2।।
नाम तेरे की जोति लगाई भइआें उजिआरो भवन सगला रे।।2।।
नामु तेरो तागा नामु फूल माला, भार अठारह सगल जूठा रे।
नामु तेरो तागा नामु फूल माला, भार अठारह सगल जूठा रे।
तेरो कीआ तुझहि किआ अरपउ नामु तेरा तुही चवर ढोला रे।।३।।
तेरो कीआ तुझहि किआ अरपउ नामु तेरा तुही चवर ढोला रे।।3।।
दसअठा अठसठे चारे खाणी इहै वरतणि है सगल संसारे।
दसअठा अठसठे चारे खाणी इहै वरतणि है सगल संसारे।
कहै रविदासु नाम तेरो आरती सतिनामु है हरि भोग तुहारे।।४।।
कहै रविदासु नाम तेरो आरती सतिनामु है हरि भोग तुहारे।।4।।
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नामु तेरो आरती भजनु मुरारे -रैदास
रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

नामु तेरो आरती भजनु मुरारे।
हरि के नाम बिनु झूठे सगल पसारे।। टेक।।
नामु तेरो आसनो नामु तेरो उरसा नामु तेरा केसरो ले छिड़का रे।
नामु तेरा अंमुला नामु तेरो चंदनों, घसि जपे नामु ले तुझहि का उचारे।।1।।
नामु तेरा दीवा नामु तेरो बाती नामु तेरो तेलु ले माहि पसारे।
नाम तेरे की जोति लगाई भइआें उजिआरो भवन सगला रे।।2।।
नामु तेरो तागा नामु फूल माला, भार अठारह सगल जूठा रे।
तेरो कीआ तुझहि किआ अरपउ नामु तेरा तुही चवर ढोला रे।।3।।
दसअठा अठसठे चारे खाणी इहै वरतणि है सगल संसारे।
कहै रविदासु नाम तेरो आरती सतिनामु है हरि भोग तुहारे।।4।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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