"बपुरौ सति रैदास कहै -रैदास": अवतरणों में अंतर
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ग्यान बिचारि नांइ चित राखै, हरि कै सरनि रहै रे।। टेक।। | ग्यान बिचारि नांइ चित राखै, हरि कै सरनि रहै रे।। टेक।। | ||
पाती तोड़ै पूज रचावै, तारण तिरण कहै रे। | पाती तोड़ै पूज रचावै, तारण तिरण कहै रे। | ||
मूरति मांहि बसै परमेसुर, तौ पांणी मांहि तिरै | मूरति मांहि बसै परमेसुर, तौ पांणी मांहि तिरै रे।।1।। | ||
त्रिबिधि संसार कवन बिधि तिरिबौ, जे दिढ नांव न गहै रे। | त्रिबिधि संसार कवन बिधि तिरिबौ, जे दिढ नांव न गहै रे। | ||
नाव छाड़ि जे डूंगै बैठे, तौ दूणां दूख सहै | नाव छाड़ि जे डूंगै बैठे, तौ दूणां दूख सहै रे।।2।। | ||
गुरु कौं सबद अरु सुरति कुदाली, खोदत कोई लहै रे। | गुरु कौं सबद अरु सुरति कुदाली, खोदत कोई लहै रे। | ||
रांम काहू कै बाटै न आयौ, सोनैं कूल बहै | रांम काहू कै बाटै न आयौ, सोनैं कूल बहै रे।।3।। | ||
झूठी माया जग डहकाया, तो तनि ताप दहै रे। | झूठी माया जग डहकाया, तो तनि ताप दहै रे। | ||
कहै रैदास रांम जपि रसनां, माया काहू कै संगि न न रहै | कहै रैदास रांम जपि रसनां, माया काहू कै संगि न न रहै रे।।4।। | ||
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10:45, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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बपुरौ सति रैदास कहै। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |