"हरि को टाँडौ लादे जाइ रे -रैदास": अवतरणों में अंतर
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! | ! रैदास की रचनाएँ | ||
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{{ | {{रैदास की रचनाएँ}} | ||
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रांम नांम धंन पायौ, ताथैं सहजि करौं ब्यौपार रे।। टेक।। | रांम नांम धंन पायौ, ताथैं सहजि करौं ब्यौपार रे।। टेक।। | ||
औघट घाट घनो घनां रे, न्रिगुण बैल हमार। | औघट घाट घनो घनां रे, न्रिगुण बैल हमार। | ||
रांम नांम हम लादियौ, ताथैं विष लाद्यौ संसार | रांम नांम हम लादियौ, ताथैं विष लाद्यौ संसार रे।।1।। | ||
अनतहि धरती धन धर्यौ रे, अनतहि ढूँढ़न जाइ। | अनतहि धरती धन धर्यौ रे, अनतहि ढूँढ़न जाइ। | ||
अनत कौ धर्यौ न पाइयैं, ताथैं चाल्यौ मूल गँवाइ | अनत कौ धर्यौ न पाइयैं, ताथैं चाल्यौ मूल गँवाइ रे।।2।। | ||
रैनि गँवाई सोइ करि, द्यौस गँवायो खाइ। | रैनि गँवाई सोइ करि, द्यौस गँवायो खाइ। | ||
हीरा यहु तन पाइ करि, कौड़ी बदलै जाइ | हीरा यहु तन पाइ करि, कौड़ी बदलै जाइ रे।।3।। | ||
साध संगति पूँजी भई रे, बस्त लई न्रिमोल। | साध संगति पूँजी भई रे, बस्त लई न्रिमोल। | ||
सहजि बलदवा लादि करि, चहुँ दिसि टाँडो मेल | सहजि बलदवा लादि करि, चहुँ दिसि टाँडो मेल रे।।4।। | ||
जैसा रंग कसूंभं का रे, तैसा यहु संसार। | जैसा रंग कसूंभं का रे, तैसा यहु संसार। | ||
रमइया रंग मजीठ का, ताथैं भणैं रैदास बिचार | रमइया रंग मजीठ का, ताथैं भणैं रैदास बिचार रे।।5।। | ||
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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11:20, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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हरि को टाँडौ लादे जाइ रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |