"हरि को टाँडौ लादे जाइ रे -रैदास": अवतरणों में अंतर
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अनत कौ धर्यौ न पाइयैं, ताथैं चाल्यौ मूल गँवाइ रे।।2।। | अनत कौ धर्यौ न पाइयैं, ताथैं चाल्यौ मूल गँवाइ रे।।2।। | ||
रैनि गँवाई सोइ करि, द्यौस गँवायो खाइ। | रैनि गँवाई सोइ करि, द्यौस गँवायो खाइ। | ||
हीरा यहु तन पाइ करि, कौड़ी बदलै जाइ | हीरा यहु तन पाइ करि, कौड़ी बदलै जाइ रे।।3।। | ||
साध संगति पूँजी भई रे, बस्त लई न्रिमोल। | साध संगति पूँजी भई रे, बस्त लई न्रिमोल। | ||
सहजि बलदवा लादि करि, चहुँ दिसि टाँडो मेल | सहजि बलदवा लादि करि, चहुँ दिसि टाँडो मेल रे।।4।। | ||
जैसा रंग कसूंभं का रे, तैसा यहु संसार। | जैसा रंग कसूंभं का रे, तैसा यहु संसार। | ||
रमइया रंग मजीठ का, ताथैं भणैं रैदास बिचार | रमइया रंग मजीठ का, ताथैं भणैं रैदास बिचार रे।।5।। | ||
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11:20, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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हरि को टाँडौ लादे जाइ रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |