"बरजि हो बरजि बीठल -रैदास": अवतरणों में अंतर
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नैन अटकि किनि राखौ केसौ, मेटहु बिपति हमारी।।4।। | नैन अटकि किनि राखौ केसौ, मेटहु बिपति हमारी।।4।। | ||
कहै रैदास उदास भयौ मन, भाजि कहाँ अब जइये। | कहै रैदास उदास भयौ मन, भाजि कहाँ अब जइये। | ||
इत उत तुम्ह गौब्यंद गुसांई, तुम्ह ही मांहि | इत उत तुम्ह गौब्यंद गुसांई, तुम्ह ही मांहि समइयै।।5।। | ||
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11:42, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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बरजि हो बरजि बीठल, माया जग खाया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |