"बरजि हो बरजि बीठल -रैदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "संन्यास" to "सन्न्यास") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "सन्न्यासी" to "संन्यासी") |
||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
महा प्रबल सब हीं बसि कीये, सुर नर मुनि भरमाया।। टेक।। | महा प्रबल सब हीं बसि कीये, सुर नर मुनि भरमाया।। टेक।। | ||
बालक बिरधि तरुन अति सुंदरि, नांनां भेष बनावै। | बालक बिरधि तरुन अति सुंदरि, नांनां भेष बनावै। | ||
जोगी जती तपी | जोगी जती तपी संन्यासी, पंडित रहण न पावै।।1।। | ||
बाजीगर की बाजी कारनि, सबकौ कौतिग आवै। | बाजीगर की बाजी कारनि, सबकौ कौतिग आवै। | ||
जो देखै सो भूलि रहै, वाका चेला मरम जु पावै।।2।। | जो देखै सो भूलि रहै, वाका चेला मरम जु पावै।।2।। |
11:42, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
बरजि हो बरजि बीठल, माया जग खाया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |