"खांलिक सकिसता मैं तेरा -रैदास": अवतरणों में अंतर
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दे दीदार उमेदगार बेकरार जीव मेरा।। टेक।। | दे दीदार उमेदगार बेकरार जीव मेरा।। टेक।। | ||
अवलि आख्यर इलल आदंम, मौज फरेस्ता बंदा। | अवलि आख्यर इलल आदंम, मौज फरेस्ता बंदा। | ||
जिसकी पनह पीर पैकंबर, मैं | जिसकी पनह पीर पैकंबर, मैं ग़रीब क्या गंदा।।1।। | ||
तू हानिरां हजूर जोग एक, अवर नहीं दूजा। | तू हानिरां हजूर जोग एक, अवर नहीं दूजा। | ||
जिसकै इसक आसिरा नांहीं, क्या निवाज क्या पूजा।।2।। | जिसकै इसक आसिरा नांहीं, क्या निवाज क्या पूजा।।2।। |
09:16, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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खांलिक सकिसता मैं तेरा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |