"हरि हरि हरि न जपसि रसना -रैदास": अवतरणों में अंतर

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अवर सभ छाड़ि बचन रचना।। टेक।।
अवर सभ छाड़ि बचन रचना।। टेक।।
सुध सागर सुरितरु चिंतामनि कामधैन बसि जाके रे।
सुध सागर सुरितरु चिंतामनि कामधैन बसि जाके रे।
चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि करतल ताकै।।१।।
चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि करतल ताकै।।1।।
नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही।
नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही।
बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही।।२।।
बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही।।2।।
सहज समाधि उपाधि रहत होइ उड़े भागि लिव लागी।
सहज समाधि उपाधि रहत होइ उड़े भागि लिव लागी।
कहि रविदास उदास दास मतित जनम मरन भै भागी।।३।।
कहि रविदास उदास दास मतित जनम मरन भै भागी।।3।।
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हरि हरि हरि न जपसि रसना -रैदास
रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

हरि हरि हरि न जपसि रसना।
अवर सभ छाड़ि बचन रचना।। टेक।।
सुध सागर सुरितरु चिंतामनि कामधैन बसि जाके रे।
चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि करतल ताकै।।1।।
नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही।
बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही।।2।।
सहज समाधि उपाधि रहत होइ उड़े भागि लिव लागी।
कहि रविदास उदास दास मतित जनम मरन भै भागी।।3।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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