"त्यू तुम्ह कारन केसवे -रैदास": अवतरणों में अंतर
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स्वांति बूँद की आस है, पीव प्यास न जाई।।1।। | स्वांति बूँद की आस है, पीव प्यास न जाई।।1।। | ||
जो रस नेही चाहिए, चितवत हूँ दूरी। | जो रस नेही चाहिए, चितवत हूँ दूरी। | ||
पंगल फल न | पंगल फल न पहुँचई, कछू साध न पूरी।।2।। | ||
कहै रैदास अकथ कथा, उपनषद सुनी जै। | कहै रैदास अकथ कथा, उपनषद सुनी जै। | ||
जस तूँ तस तूँ तस तूँ हीं, कस ओपम दीजै।।3।। | जस तूँ तस तूँ तस तूँ हीं, कस ओपम दीजै।।3।। |
13:33, 7 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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त्यू तुम्ह कारन केसवे, लालचि जीव लागा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |