"गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी -रैदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "३" to "3") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 34: | पंक्ति 34: | ||
गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी। | गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी। | ||
उर भुअंग भस्म अंग संतत बैरागी।। टेक।। | उर भुअंग भस्म अंग संतत बैरागी।। टेक।। | ||
जाके तीन नैन अमृत बैन, सीसा जटाधारी, कोटि कलप ध्यान अलप, मदन | जाके तीन नैन अमृत बैन, सीसा जटाधारी, कोटि कलप ध्यान अलप, मदन अंतकारी।।1।। | ||
जाके लील बरन अकल ब्रह्म, गले रुण्डमाला, प्रेम मगन फिरता नगन, संग सखा | जाके लील बरन अकल ब्रह्म, गले रुण्डमाला, प्रेम मगन फिरता नगन, संग सखा बाला।।2।। | ||
अस महेश बिकट भेस, अजहूँ दरस आसा, कैसे राम मिलौं तोहि, गावै | अस महेश बिकट भेस, अजहूँ दरस आसा, कैसे राम मिलौं तोहि, गावै रैदासा।।3।। | ||
</poem> | </poem> | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} |
10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |