"गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी -रैदास": अवतरणों में अंतर
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उर भुअंग भस्म अंग संतत बैरागी।। टेक।। | उर भुअंग भस्म अंग संतत बैरागी।। टेक।। | ||
जाके तीन नैन अमृत बैन, सीसा जटाधारी, कोटि कलप ध्यान अलप, मदन अंतकारी।।1।। | जाके तीन नैन अमृत बैन, सीसा जटाधारी, कोटि कलप ध्यान अलप, मदन अंतकारी।।1।। | ||
जाके लील बरन अकल ब्रह्म, गले रुण्डमाला, प्रेम मगन फिरता नगन, संग सखा | जाके लील बरन अकल ब्रह्म, गले रुण्डमाला, प्रेम मगन फिरता नगन, संग सखा बाला।।2।। | ||
अस महेश बिकट भेस, अजहूँ दरस आसा, कैसे राम मिलौं तोहि, गावै | अस महेश बिकट भेस, अजहूँ दरस आसा, कैसे राम मिलौं तोहि, गावै रैदासा।।3।। | ||
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10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |