"मरम कैसैं पाइबौ रे -रैदास": अवतरणों में अंतर
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कनक होत नहीं बार, धन जोबन प्रभु नां मिलै।।5।। | कनक होत नहीं बार, धन जोबन प्रभु नां मिलै।।5।। | ||
ना मिलै कुल करनी आचार। | ना मिलै कुल करनी आचार। | ||
एकै अनेक बिगाइया, ताकौं जाणैं सब | एकै अनेक बिगाइया, ताकौं जाणैं सब संसार।।6।। | ||
अनेक जतन करि टारिये, टारी टरै न भ्रम पास। | अनेक जतन करि टारिये, टारी टरै न भ्रम पास। | ||
प्रेम भगति नहीं उपजै, ताथैं रैदास | प्रेम भगति नहीं उपजै, ताथैं रैदास उदास।।7।। | ||
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11:32, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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मरम कैसैं पाइबौ रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |