"जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव -रैदास": अवतरणों में अंतर
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देव दीन उधंरन, चरंन सरन तेरी।। | देव दीन उधंरन, चरंन सरन तेरी।। | ||
नहीं आंन गति बिपति कौं हरन और। | नहीं आंन गति बिपति कौं हरन और। | ||
श्रीपति सुनसि सीख संभाल प्रभु करहु | श्रीपति सुनसि सीख संभाल प्रभु करहु मेरी।।1।। | ||
अहो देव कांम केसरि काल, भुजंग भांमिनी भाल। | अहो देव कांम केसरि काल, भुजंग भांमिनी भाल। | ||
लोभ सूकर क्रोध बर बारनूँ।।२।। | लोभ सूकर क्रोध बर बारनूँ।।२।। |
09:48, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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