"क्या तू सोवै जणिं दिवांनां -रैदास": अवतरणों में अंतर
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जिनि जीव दिया सो रिजकअ बड़ावै, घट घट भीतरि रहट चलावै। | जिनि जीव दिया सो रिजकअ बड़ावै, घट घट भीतरि रहट चलावै। | ||
करि बंदिगी छाड़ि मैं मेरा, हिरदै का रांम संभालि सवेरा।।1।। | करि बंदिगी छाड़ि मैं मेरा, हिरदै का रांम संभालि सवेरा।।1।। | ||
जो दिन आवै सौ | जो दिन आवै सौ दु:ख मैं जाई, कीजै कूच रह्यां सच नांहीं। | ||
संग चल्या है हम भी चलनां, दूरि गवन सिर ऊपरि मरनां।।2।। | संग चल्या है हम भी चलनां, दूरि गवन सिर ऊपरि मरनां।।2।। | ||
जो कुछ बोया लुनियें सोई, ता मैं फेर फार कछू न होई। | जो कुछ बोया लुनियें सोई, ता मैं फेर फार कछू न होई। |
14:09, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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क्या तू सोवै जणिं दिवांनां। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |