"त्यू तुम्ह कारन केसवे -रैदास": अवतरणों में अंतर

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स्वांति बूँद की आस है, पीव प्यास न जाई।।1।।
स्वांति बूँद की आस है, पीव प्यास न जाई।।1।।
जो रस नेही चाहिए, चितवत हूँ दूरी।
जो रस नेही चाहिए, चितवत हूँ दूरी।
पंगल फल न पहूँचई, कछू साध न पूरी।।2।।
पंगल फल न पहुँचई, कछू साध न पूरी।।2।।
कहै रैदास अकथ कथा, उपनषद सुनी जै।
कहै रैदास अकथ कथा, उपनषद सुनी जै।
जस तूँ तस तूँ तस तूँ हीं, कस ओपम दीजै।।3।।  
जस तूँ तस तूँ तस तूँ हीं, कस ओपम दीजै।।3।।  

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त्यू तुम्ह कारन केसवे -रैदास
रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

त्यू तुम्ह कारन केसवे, लालचि जीव लागा।
निकटि नाथ प्रापति नहीं, मन मंद अभागा।। टेक।।
साइर सलिल सरोदिका, जल थल अधिकाई।
स्वांति बूँद की आस है, पीव प्यास न जाई।।1।।
जो रस नेही चाहिए, चितवत हूँ दूरी।
पंगल फल न पहुँचई, कछू साध न पूरी।।2।।
कहै रैदास अकथ कथा, उपनषद सुनी जै।
जस तूँ तस तूँ तस तूँ हीं, कस ओपम दीजै।।3।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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