"बरजि हो बरजि बीठल -रैदास": अवतरणों में अंतर
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महा प्रबल सब हीं बसि कीये, सुर नर मुनि भरमाया।। टेक।। | महा प्रबल सब हीं बसि कीये, सुर नर मुनि भरमाया।। टेक।। | ||
बालक बिरधि तरुन अति सुंदरि, नांनां भेष बनावै। | बालक बिरधि तरुन अति सुंदरि, नांनां भेष बनावै। | ||
जोगी जती तपी संन्यासी, पंडित रहण न | जोगी जती तपी संन्यासी, पंडित रहण न पावै।।1।। | ||
बाजीगर की बाजी कारनि, सबकौ कौतिग आवै। | बाजीगर की बाजी कारनि, सबकौ कौतिग आवै। | ||
जो देखै सो भूलि रहै, वाका चेला मरम जु पावै।।२।। | जो देखै सो भूलि रहै, वाका चेला मरम जु पावै।।२।। |
09:48, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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बरजि हो बरजि बीठल, माया जग खाया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |