"मरम कैसैं पाइबौ रे -रैदास": अवतरणों में अंतर
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पंडित कोई न कहै समझाइ, जाथैं मरौ आवागवन बिलाइ।। टेक।। | पंडित कोई न कहै समझाइ, जाथैं मरौ आवागवन बिलाइ।। टेक।। | ||
बहु बिधि धरम निरूपिये, करता दीसै सब लोई। | बहु बिधि धरम निरूपिये, करता दीसै सब लोई। | ||
जाहि धरम भ्रम छूटिये, ताहि न चीन्हैं | जाहि धरम भ्रम छूटिये, ताहि न चीन्हैं कोई।।1।। | ||
अक्रम क्रम बिचारिये, सुण संक्या बेद पुरांन। | अक्रम क्रम बिचारिये, सुण संक्या बेद पुरांन। | ||
बाकै हृदै भै भ्रम, हरि बिन कौंन हरै अभिमांन।।२।। | बाकै हृदै भै भ्रम, हरि बिन कौंन हरै अभिमांन।।२।। |
09:48, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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मरम कैसैं पाइबौ रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |