"बपुरौ सति रैदास कहै -रैदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "१" to "1") |
||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
ग्यान बिचारि नांइ चित राखै, हरि कै सरनि रहै रे।। टेक।। | ग्यान बिचारि नांइ चित राखै, हरि कै सरनि रहै रे।। टेक।। | ||
पाती तोड़ै पूज रचावै, तारण तिरण कहै रे। | पाती तोड़ै पूज रचावै, तारण तिरण कहै रे। | ||
मूरति मांहि बसै परमेसुर, तौ पांणी मांहि तिरै | मूरति मांहि बसै परमेसुर, तौ पांणी मांहि तिरै रे।।1।। | ||
त्रिबिधि संसार कवन बिधि तिरिबौ, जे दिढ नांव न गहै रे। | त्रिबिधि संसार कवन बिधि तिरिबौ, जे दिढ नांव न गहै रे। | ||
नाव छाड़ि जे डूंगै बैठे, तौ दूणां दूख सहै रे।।२।। | नाव छाड़ि जे डूंगै बैठे, तौ दूणां दूख सहै रे।।२।। |
09:48, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
बपुरौ सति रैदास कहै। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |