"मरम कैसैं पाइबौ रे -रैदास": अवतरणों में अंतर
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जाहि धरम भ्रम छूटिये, ताहि न चीन्हैं कोई।।1।। | जाहि धरम भ्रम छूटिये, ताहि न चीन्हैं कोई।।1।। | ||
अक्रम क्रम बिचारिये, सुण संक्या बेद पुरांन। | अक्रम क्रम बिचारिये, सुण संक्या बेद पुरांन। | ||
बाकै हृदै भै भ्रम, हरि बिन कौंन हरै | बाकै हृदै भै भ्रम, हरि बिन कौंन हरै अभिमांन।।2।। | ||
सतजुग सत त्रेता तप, द्वापरि पूजा आचार। | सतजुग सत त्रेता तप, द्वापरि पूजा आचार। | ||
तीन्यूं जुग तीन्यूं दिढी, कलि केवल नांव अधार।।३।। | तीन्यूं जुग तीन्यूं दिढी, कलि केवल नांव अधार।।३।। |
10:03, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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मरम कैसैं पाइबौ रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |