"मैं का जांनूं देव मैं का जांनू -रैदास": अवतरणों में अंतर
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मन माया के हाथि बिकांनूं।। टेक।। | मन माया के हाथि बिकांनूं।। टेक।। | ||
चंचल मनवां चहु दिसि धावै; जिभ्या इंद्री हाथि न आवै। | चंचल मनवां चहु दिसि धावै; जिभ्या इंद्री हाथि न आवै। | ||
तुम तौ आहि | तुम तौ आहि जगत् गुर स्वांमीं, हम कहियत कलिजुग के कांमी।।1।। | ||
लोक बेद मेरे सुकृत बढ़ाई, लोक लीक मोपैं तजी न जाई। | लोक बेद मेरे सुकृत बढ़ाई, लोक लीक मोपैं तजी न जाई। | ||
इन मिलि मेरौ मन जु बिगार्यौ, दिन दिन हरि जी सूँ अंतर पार्यौ।।2।। | इन मिलि मेरौ मन जु बिगार्यौ, दिन दिन हरि जी सूँ अंतर पार्यौ।।2।। |
13:50, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
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मैं का जांनूं देव मैं का जांनू। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |