"बरजि हो बरजि बीठल -रैदास": अवतरणों में अंतर
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जोगी जती तपी संन्यासी, पंडित रहण न पावै।।1।। | जोगी जती तपी संन्यासी, पंडित रहण न पावै।।1।। | ||
बाजीगर की बाजी कारनि, सबकौ कौतिग आवै। | बाजीगर की बाजी कारनि, सबकौ कौतिग आवै। | ||
जो देखै सो भूलि रहै, वाका चेला मरम जु | जो देखै सो भूलि रहै, वाका चेला मरम जु पावै।।2।। | ||
खंड ब्रह्मड लोक सब जीते, ये ही बिधि तेज जनावै। | खंड ब्रह्मड लोक सब जीते, ये ही बिधि तेज जनावै। | ||
स्वंभू कौ चित चोरि लीयौ है, वा कै पीछैं लागा धावै।।३।। | स्वंभू कौ चित चोरि लीयौ है, वा कै पीछैं लागा धावै।।३।। |
10:03, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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बरजि हो बरजि बीठल, माया जग खाया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |