"बरजि हो बरजि बीठल -रैदास": अवतरणों में अंतर
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जो देखै सो भूलि रहै, वाका चेला मरम जु पावै।।2।। | जो देखै सो भूलि रहै, वाका चेला मरम जु पावै।।2।। | ||
खंड ब्रह्मड लोक सब जीते, ये ही बिधि तेज जनावै। | खंड ब्रह्मड लोक सब जीते, ये ही बिधि तेज जनावै। | ||
स्वंभू कौ चित चोरि लीयौ है, वा कै पीछैं लागा | स्वंभू कौ चित चोरि लीयौ है, वा कै पीछैं लागा धावै।।3।। | ||
इन बातनि सुकचनि मरियत है, सबको कहै तुम्हारी। | इन बातनि सुकचनि मरियत है, सबको कहै तुम्हारी। | ||
नैन अटकि किनि राखौ केसौ, मेटहु बिपति हमारी।।४।। | नैन अटकि किनि राखौ केसौ, मेटहु बिपति हमारी।।४।। |
10:10, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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बरजि हो बरजि बीठल, माया जग खाया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |