"मैं का जांनूं देव मैं का जांनू -रैदास": अवतरणों में अंतर
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सनक सनंदन महा मुनि ग्यांनी, सुख नारद ब्यास इहै बखांनीं। | सनक सनंदन महा मुनि ग्यांनी, सुख नारद ब्यास इहै बखांनीं। | ||
गावत निगम उमांपति स्वांमीं, सेस सहंस मुख कीरति गांमी।।3।। | गावत निगम उमांपति स्वांमीं, सेस सहंस मुख कीरति गांमी।।3।। | ||
जहाँ जहाँ जांऊँ तहाँ | जहाँ जहाँ जांऊँ तहाँ दु:ख की रासी, जौ न पतियाइ साध है साखी। | ||
जमदूतनि बहु बिधि करि मार्यौ, तऊ निलज अजहूँ नहीं हार्यौ।।4।। | जमदूतनि बहु बिधि करि मार्यौ, तऊ निलज अजहूँ नहीं हार्यौ।।4।। | ||
हरि पद बिमुख आस नहीं छूटै, ताथैं त्रिसनां दिन दिन लूटै। | हरि पद बिमुख आस नहीं छूटै, ताथैं त्रिसनां दिन दिन लूटै। |
14:00, 2 जून 2017 का अवतरण
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मैं का जांनूं देव मैं का जांनू। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |