नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर -रैदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:44, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण (Text replace - "४" to "4")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर -रैदास
रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर।
जाकै सुर नर संत सरन अभिअंतर।। टेक।।
जहाँ जहाँ गयौ, तहाँ जनम काछै, तृबिधि ताप तृ भुवनपति पाछै।।1।।
भये अति छीन खेद माया बस, जस तिन ताप पर नगरि हतै तस।।2।।
द्वारैं न दसा बिकट बिष कारंन, भूलि पर्यौ मन या बिष्या बन।।3।।
कहै रैदास सुमिरौ बड़ राजा, काटि दिये जन साहिब लाजा।।4।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख