श्रेणी:काव्य कोश
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"काव्य कोश" श्रेणी में पृष्ठ
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- कवन भगितते रहै प्यारो पाहुनो रे -रैदास
- कवि और कविता -दिनेश सिंह
- कवि और कविता -रामधारी सिंह दिनकर
- कवि का हृदय सूना -दिनेश सिंह
- कवि-श्री -आरसी प्रसाद सिंह
- कविकुलकंठा भरण
- कविकुलकल्पतरु
- कविता का अनकहा अंश -अशोक कुमार शुक्ला
- कविता के बारे में कुछ कविताएं -अजेय
- कविता नहीं लिख सकते -अजेय
- कवित्त रत्नाकर
- कविप्रिया
- कविराजा मुरारीदान
- कहत सुनत जग जात है -कबीर
- कहते हैं तारे गाते हैं -हरिवंश राय बच्चन
- कहरा (रमैनी)
- कहा करौं वैकुण्ठ लै -रहीम
- कहा कियो हम आइ करि -कबीर
- कहा सूते मुगध नर -रैदास
- कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये -दुष्यंत कुमार
- कहाँ थे रात को हमसे ज़रा निगाह मिले -दाग़ देहलवी
- कहाँ रहेगी चिड़िया -महादेवी वर्मा
- कहाँ हो पहाड़ -अनूप सेठी
- कहां खुश देख पाती है -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- कहां गयोरे पेलो मुरलीवाळो -मीरां
- कहां लौं बरनौं सुंदरताई -सूरदास
- कहावत ऐसे दानी दानि -सूरदास
- कहि मन रांम नांम संभारि -रैदास
- कहि रहीम संपति सगे -रहीम
- कहियौ जसुमति की आसीस -सूरदास
- कहियौ, नंद कठोर भये -सूरदास
- कहीं यह आखिरी कविता न हो -अजेय
- कहु रहीम कैतिक रही -रहीम
- कहु रहीम कैसे निभै -रहीम
- क़र्ज़े निगाहे यार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- क़सीदा
- काँची कारी जिनि करै -कबीर
- कांन्हां हो जगजीवन -रैदास
- काका के हँसगुल्ले -काका हाथरसी
- काका दोहावली -काका हाथरसी
- कागज को सो पूतरा -रहीम
- कागळ कोण लेई जायरे मथुरामां -मीरां
- काजू भुने पलेट में -अदम गोंडवी
- काट फंद हे गोविन्द ! -शिवदीन राम जोशी
- कानन कुसुम
- कानन दै अँगुरी रहिहौं -रसखान
- काना चालो मारा घेर कामछे -मीरां
- काना तोरी घोंगरीया पहरी होरी खेले -मीरां
- कान्ह भये बस बाँसुरी के -रसखान
- कान्ह हेरल छल मन बड़ साध -विद्यापति
- कान्हा कानरीया पेहरीरे -मीरां
- कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी -मीरां
- कान्हा! राधा से क्यों रूठे? -कैलाश शर्मा
- कान्हो काहेकूं मारो मोकूं कांकरी -मीरां
- काबा फिर कासी भया -कबीर
- काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है -दाग़ देहलवी
- काम की जगहों पर कुछ हादसे -अजेय
- कामवालियाँ -किरण मिश्रा
- कामिनि करम सनाने -विद्यापति
- कामी का अंग -कबीर
- कायकूं देह धरी भजन बिन कोयकु -मीरां
- काया मंजन क्या करै -कबीर
- कार के करिश्मे -काका हाथरसी
- कारवां गुज़र गया -गोपालदास नीरज
- कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे -मीरां
- कालिज स्टूडैंट -काका हाथरसी
- काले बादल -सुमित्रानंदन पंत
- कालोकी रेन बिहारी -मीरां
- काव्य
- काव्य की भूमिका -रामधारी सिंह दिनकर
- काह कामरी पामड़ी -रहीम
- काहे को ब्याहे बिदेस -अमीर ख़ुसरो
- काहे ते हरि मोहिं बिसारो -तुलसीदास
- काहे री नलिनी तू कुमिलानी -कबीर
- कि कहब हे सखि रातुक -विद्यापति
- कितनी अतृप्ति है -गोपालदास नीरज
- कितनी रोटी -अशोक चक्रधर
- कितने दिन चलेगा? -गोपालदास नीरज
- किन्ने देखा कन्हया प्यारा की मुरलीवाला -मीरां
- किसलिए आऊं तुम्हारे द्वार? -गोपालदास नीरज
- किसी का दीप निष्ठुर हूँ -महादेवी वर्मा
- किहि बिधि अणसरूं रे -रैदास
- कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज -सूरदास
- कीजो प्रीत खरी -मीरां
- कीत गयो जादु करके नो पीया -मीरां
- कीसनजी नहीं कंसन घर जावो -मीरां
- कुँजन के कोरे मनु -देव
- कुंज कुटीरे यमुना तीरे -माखन लाल चतुर्वेदी
- कुंज भवन सएँ निकसलि -विद्यापति
- कुंजबनमों गोपाल राधे -मीरां
- कुंजी -रामधारी सिंह दिनकर
- कुच-जुग अंकुर उतपत् भेल -विद्यापति
- कुछ कुण्डलियाँ -त्रिलोक सिंह ठकुरेला
- कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ -काका हाथरसी
- कुछ दोहे नीरज के -गोपालदास नीरज
- कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें -भगवतीचरण वर्मा
- कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती -मीरां
- कुण्ठा -दुष्यंत कुमार
- कुत्ता भौंकने लगा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- कुन्दन से अँग -देव
- कुबजानें जादु डारा -मीरां
- कुमारन आशान
- कुमारव्यास
- कुरुक्षेत्र -रामधारी सिंह दिनकर
- कुरुक्षेत्र-कर्ण-कृष्ण और सार -रश्मि प्रभा
- कुल खोये कुल ऊबरै -कबीर
- कुलजम स्वरूप
- कुशलगीत -मैथिलीशरण गुप्त
- कू कू करती काली कोयल -दिनेश सिंह
- कृत्तिवास रामायण
- कृष्ण करो जजमान -मीरां
- कृष्ण के आने की बारी है -रश्मि प्रभा
- कृष्ण को गुहार -कैलाश शर्मा
- कृष्ण जन्म -रश्मि प्रभा
- कृष्ण बनकर रहना सरल नहीं -रश्मि प्रभा
- कृष्ण भी कृष्ण नहीं कहलाते -रश्मि प्रभा
- कृष्णमंदिरमों मिराबाई नाचे -मीरां
- के पतिआ लय जायत रे -विद्यापति
- के. पी. सक्सेना
- केते झाड़ फूंक भुतवा -शिवदीन राम जोशी
- केते बदमाश गुंडे -शिवदीन राम जोशी
- केलंग-1/ हरी सब्ज़ियाँ -अजेय
- केलंग-2/ पानी -अजेय
- केलंग-3/ बिजली -अजेय
- केलंग-4/ सड़कें -अजेय
- केशर की कलि की पिचकारी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- केशव,कहि न जाइ -तुलसीदास
- केसरि से बरन सुबरन -बिहारी लाल
- केसवे बिकट माया तोर -रैदास
- केसौ कहि कहि कूकिए -कबीर
- केहि समुझावौ सब जग अन्धा -कबीर
- कैदी और कोकिला -माखन लाल चतुर्वेदी
- कैसी जादू डारी -मीरां
- कैसी है पहिचान तुम्हारी -माखन लाल चतुर्वेदी
- कैसे निबहै निबल जन -रहीम
- कोई आशिक़ किसी महबूब से -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- कोई कहियौ रे -मीरां
- कोई देखोरे मैया -मीरां
- कोई नहीं जानता -कुलदीप शर्मा
- कोई सुमार न देखौं -रैदास
- कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे -मीरां
- कोउ रहीम जहिं काहुके -रहीम
- कोऊ कहौ कुलटा कुलनि -देव
- कोयल -सुभद्रा कुमारी चौहान
- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती -सोहन लाल द्विवेदी
- कौंन भगति थैं रहै प्यारे पांहुनौं रे -रैदास
- कौन क्या-क्या खाता है? -काका हाथरसी
- कौन चितेरा चंचल मन से -शिवकुमार बिलगरामी
- कौन जतन बिनती करिये -तुलसीदास
- कौन ठगवा नगरिया लूटल हो -कबीर
- कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा
- कौन धौं सीखि ’रहीम’ इहाँ -रहीम
- कौन बड़ाई जलधि मिलि -रहीम
- कौन भरे जल जमुना -मीरां
- कौन मिलावै जोगिया हो -मलूकदास
- कौन यहाँ आया था -दुष्यंत कुमार
- क्या आकाश उतर आया है -माखन लाल चतुर्वेदी
- क्या करूं मैं बनमें गई घर होती -मीरां
- क्या करें -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- क्या चाहते हैं? -वंदना गुप्ता
- क्या जलने की रीत -महादेवी वर्मा
- क्या तू सोवै जणिं दिवांनां -रैदास
- क्या पूजन -महादेवी वर्मा
- क्या मुझे पहचान लोगे -चन्द्रकान्ता चौधरी
- क्या लुत्फ़-ए-सितम यूँ उन्हें हासिल नहीं होता -दाग़ देहलवी
- क्या है कोई जवाब तुम्हारे पास -वंदना गुप्ता
- क्यूँ कृष्ण -रश्मि प्रभा
- क्यों -किरण मिश्रा
- क्यों इन तारों को उलझाते? -महादेवी वर्मा
- क्यों चुराते हो देखकर आँखें -दाग़ देहलवी
- क्यों, आखिर क्यों? -कन्हैयालाल नंदन
- क्षणिकाएँ -किरण मिश्रा
- क्षमा प्रार्थना -काका हाथरसी
ख
- खंड काव्य
- खंभा एक गयंद दोइ -कबीर
- खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज
- खटमल-मच्छर-युद्ध -काका हाथरसी
- खबर मोरी लेजारे बंदा -मीरां
- खरच बढ्यो उद्यम घट्यो -रहीम
- खरी दुपहरी भरी -देव
- ख़त्म हुई बारिशे संग -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़बर है दोनों को -अना क़ासमी
- ख़लीफ़ा की खोपड़ी -अशोक चक्रधर
- ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया -दाग़ देहलवी
- ख़ामोश रात की तन्हाई में -फ़िरदौस ख़ान
- ख़ुद अपने ही ख़िलाफ़ -अजेय
- ख़ुदा वो वक़्त न लाये -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़ुद्दारियों के ख़ून को -साहिर लुधियानवी
- ख़ून की होली जो खेली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- ख़ून फिर ख़ून है -साहिर लुधियानवी
- ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ -शिवकुमार बिलगरामी
- ख़्वाब बसेरा -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- खांलिक सकिसता मैं तेरा -रैदास
- खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर
- खिल-खिल खिल-खिल हो रही -काका हाथरसी
- खिलौनेवाला -सुभद्रा कुमारी चौहान
- खीरा को सिर काटिकै -रहीम
- खीरा सिर ते काटिये -रहीम
- खुर्शीदे-महशर की लौ -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- खुला आसमान -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला